मां क्या तुम सिर्फ एक अक्षर हो??

मां क्या तुम सिर्फ एक अक्षर हो??
मां क्या तुम सिर्फ एक अक्षर हो?? जिसे मुझे रोज बोलने की आदत है। या हो तुम कोई कविता, जिसे दिन भर मुझे गुनगुनाने की आदत है। मां क्या तुम कोई पेड़ की छाया हो?? जिसकी गोद में सो कर मैंने दुनिया को है भुलाया है। या हो तुम कोई परी?? जिसने मेरा हर राज बिन कहे सब जाना है। मां क्या हो तुम कोई धागा, जिसने हर रिश्ते को बांधे रखा हैं। या हो तुम कोई गुरु, जिसने विद्यालय से पहले संस्कारो को सिखाया है। मां क्या तुम कोई चिकित्सक हो , जिसने हर बीमारी का इलाज किया है। या हो तुम कोई सूरज ? जिसने घर को चमकाया है। मां तुम तो हो मेरी भगवान जिसे मैंने बिन मंदिर जाए घर में ही पूजा है। हर्षा बाबानी

जल दिवस

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*विश्व जल दिवस* 22/3/2024 नदियाँ मानव सभ्यता की जननी कहलाती हैं। हमारी भारतीय संस्कृति में नदियों को...

समाज मे महिलाओ की वास्तविक स्थिति...

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8 मार्च को प्रत्येक क्षेत्र मे नारी का सम्मान सभी अपने अपने स्तर पर कर रहे है। हर जगह पर सिर्फ...

सरे राह फैला भ्रष्टाचार...सड़कें हो रही तार-तार...!

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( ब्रजेश जोशी) मंदसौर। इन दिनों नगर वासी या कोई भी बाहरी प्रवासी मंदसौर की गलियों में...

माँ कभी निष्ठुर नही होती

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5 जून- विश्वपर्यावरण दिवस के अवसर परअपने मन की बात आप सभी तक पहुंचाना चाहती हूँ । कोरोना के इस...

'माँ' एक सशक्त स्त्री

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बारात जा चुकी थी। ढोल और शहनाइयों से गूंजता घर सुनसान हो चुका था। मेहमान भी विदा ले चुके थे।...