सरे राह फैला भ्रष्टाचार...सड़कें हो रही तार-तार...!

सरे राह फैला भ्रष्टाचार...सड़कें हो रही तार-तार...!
( ब्रजेश जोशी) मंदसौर। इन दिनों नगर वासी या कोई भी बाहरी प्रवासी मंदसौर की गलियों में मोहल्लो, चौराहों और मुख्य मार्गों पर निकलते हुए जब सड़क की स्थिति देखते हैं तो सड़क पर बिखरा भ्रष्टाचार उन्हें साफ साफ दिखाई देता है।शहर भर की तार तार होती सड़कें व्यवस्था की नस नस में समाए हुए भ्रष्टाचार की कहानियां कहती है। फलता-फूलता भ्रष्टाचार नगर में सरे राह देखा जा सकता है। कैसे कहें कि यह जमाना जागरूक है क्यों कहे कि जनप्रतिनिधिगण सतर्क हैं शासन प्रशासन सजग है कैसे कह दें कि तकनिकी युग है। कुछ भी नहीं... सब ढोल में पोल चल रही है और भ्रष्टाचार ने समूची व्यवस्थाओं को अपने हाथों में जकड़ रखा है। शहरभर सड़कें पूरी तरह से नष्ट भ्रष्ट हो चुकी है। यह सब मंजर देखकर कई तरह की बातें ,सुझाव और विचार के सामने आ रहे हैं। सड़कों की यह दुर्दशा देखकर नगर पालिका द्वारा कराए जा रहे सड़क निर्माण कार्यों में किस तरह कमीशन बाजी का खेल होता है यह बात किसी से छिपी नहीं है। भ्रष्टाचार के इस खेल को देखकर यह यकीन हो जाता है कि पद प्रेमी व शार्टकट मानसिकता के लोग नगर पालिका में जाने को क्यों उत्सुक रहते हैं। प्रत्येक राजनीतिक पार्टी के कतिपय प्रचलित नेता नगरपालिका अध्यक्ष बनना चाहते हैं। हर राजनीतिक पार्टी का व्यवसायिक मानसिकता का कार्यकर्ता पार्षद बनना चाहता है। आख़िर क्या है इस नगर पालिका में ।सड़कों पर फैल रहे भ्रष्टाचार को देख कर तो देख कर तो पूरा यकीन हो जाता है कि वास्तव में बहुत कुछ है इस नगरपालिका में। यह सुझाव गौरतलब है कि जब नगर के किसी भी हिस्से में सड़क निर्माण होता हो तो नगरपालिका 5 जनों की समिति बनाए जिसमें क्षेत्र का पार्षद एक तकनीकी विशेषज्ञ और बाकी मोहल्ले के प्रतिष्ठित लोग उसमें सदस्य हों और यह 5 जनों की समिति सड़क निर्माण में लगने वाले मटेरियल का परीक्षण करें और उच्च गुणवत्ता पूर्व सड़क निर्माण हो तो ही ठेकेदार को भुगतान कराया जाए। एक पहलू यह भी है कि ठेकेदार जो सड़क बनाते हैं उन्हें 40% कमीशन बांटना पड़ता है यदि वह ₹100 कमा रहे हैं तो उन्हें ₹40 बांटने पड़ रहे हैं और यह बंदरबाट नीचे से ऊपर तक होती है। सबसे पहले इस कमीशन बाजी पर अंकुश जरूरी है ।जब तक कमीशन का यह रहेगा सड़कें ऐसे ही घटिया मटेरियल की बनती रहेगी हर साल बनेगी हर साल उखडेगी और यह गोरखधंधा सालों साल चलता ही रहेगा। क्योंकि यह कइयों की कमाई का जरिया बन चुका है। ऐसे में तो सड़कों की हालत इससे भी ज्यादा खराब होनी है। राजनीतिक पार्टियां, सत्तापक्ष, विपक्ष भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन मंदसौर शहर की सड़कों पर बिखरा भ्रष्टाचार कई स्याह चेहरों को उजागर करता है।अब जनता जागरुक है सजग है नगर पालिका में ऐसे संस्थानों में राजनीतिक दलों को नेता नहीं वरन ऐसे लोगों को भेजना चाहिए जिनके मन में विकास की तड़पहै और भ्रष्टाचार करने की मानसिकता बिल्कुल नहीं हो। अन्यथा एक समय वह आएगा अभी तो केवल बारिश में ही सड़कें टूट रही हैं भविष्य में वे भी दिन देखने पड़ सकते हैं कि इधर सड़क बनी और कुछ ही दिनों में टूटी। टूटेगी तभी तो नई बनेगी। और भ्रष्टाचार का यह खेल बदस्तूर यों ही चलता रहेगा।

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