सकरात्मक अन्न सकरात्मक मन
विश्व खाद्य दिवस
विश्व खाद्य दिवस प्रतिवर्ष 16 अक्टूबर को विश्व भर में मनाया जाता है l "खाद्य एवं कृषि संगठन" का मुख्य उद्देश्य तेजी से बढ़ती वैश्विक आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना हैं, क्योंकि आज भी विश्व के कुछ हिस्से भुखमरी और कुपोषण से जूझ रहे हैं l अस्वस्थ भोजन विश्व में बीमारी और मृत्यु का एक बड़ा कारण बन गया है l आहार शैली को बदलकर लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों को आसानी से ठीक किया जा सकता है अगर हम एक स्वस्थ और सक्रिय जीवन चाहते हैं, तो हमें हमारे खान-पान की आदतों में सुधार का संकल्प लेना चाहिए l
प्राचीन काल से ही मिलेट्स (मोटा अनाज) हमारे देश का प्रमुख आहार रहा है, लेकिन हरित क्रांति के बाद मिलेट्स के उत्पादन और खपत में कमी आई क्योंकि गेहूं और चावल का उपयोग बड़ी मात्रा में किए जाने लगा साथ ही "रिफाइन्ड व्हाइट" और "पैकेजिंग फूड" प्रचलन बढ़ गया जिसके परिणामस्वरूप लोगों की प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आई औऱ कम उम्र में ही वे गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने लगे हैं l हालांकि वर्तमान पीढ़ी खानपान को लेकर धीरे-धीरे सजग हो रही है l और मोटा अनाज जिसे गरीबों का भोजन कहा जाता था यह वापस "सुपर फूड" "ग्लूटेन फ्री डाइट" के रूप में हमारे आहार में शामिल हो रहा है l मिलेट्स को आधुनिक पीढ़ी की प्लेट तक लाने का बड़ा योगदान रहा हैं कृषि रत्न डॉ.खादर वली जी का l परंपरागत फसलों की महत्वता इस पीढ़ी को बताने वाले डॉ.खादर वली को “भारत का मिलेट मैन कहा जाता हैं। इन्होंने अनाज को
पॉजिटिव,न्यूट्रल और नेगेटिव
अनाज में बांटा । जिसमे पॉजिटिव और न्यूट्रल अनाज को "मिलेट" कहा जाता है ।
पॉजिटिव श्रेणी के अनाज को "श्रीधान्य मिलेट"भी कहा जाता है
श्रीधान्य मिलेटस ऑनलाइन उपलब्ध है मिलेट्स जिनमें लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स और अत्याधिक फाइबर होता है सकारात्मक अनाज की श्रेणी में आते हैं कंगनी (फॉक्सटेल मिलट), सान्वा (बेनयॉड मिलेट), कोदाएँ (कोडो मिलेट), कुटकी (मिलेट) छोटी कंगनी (बॉउनटॉप मिलेट)।
पॉजिटिव मिलेट्स में चिकित्सीय गुण होते हैं जिनके द्वारा रोग का उपचार भी किया जा सकता है l
न्यूट्रल मिलेट्स में कोई चिकित्सीय गुण नहीं होता पर फिर भी यह हमारे शरीर को वैसा ही बना कर रखते हैं जैसा कि वर्तमान में है न्यूट्रल मिलेट्स की श्रेणी में आने वाली फसलें हैं बाजरा, रागी, बर्री / चेना, ज्वार, मक्का l
गेहूं और चावल नेगेटिव ग्रेन की श्रेणी में आते हैं, क्योंकि इनमें फाइबर की मात्रा बहुत कम और शर्करा अधिक मात्रा पाई जाती हैं शर्करा मानव शरीर के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक होती है l इसीलिए भोजन में शर्करा की मात्रा के प्रति जागरूक होना अति आवश्यक है l
मिलेट्स में पाए जाने वाला फाइबर शर्करा के अवशोषण को बहुत धीमा कर देता है जिससे लंबे समय तक शरीर में ऊर्जा बनी रहती है रक्त में शर्करा की मात्रा भी नहीं बढती है l
पॉजिटिव और न्यूट्रल मिलेट्स में ऊर्जा,प्रोटीन,आहारिय खनिज,विटामिन पर्याप्त मात्रा मे पाये जाते हैं इसलिए मधुमेह, थायराइड, अग्न्याशय, रक्त शुद्धि हड्डियों की कमजोरी, मस्तिष्क, गठिया दिल की बीमारियों, बुखार, पार्किंसन, दौरे पड़ना, अस्थमा, त्वचा संबंधी रोग कैंसर, स्त्री और पुरुष की प्रजनन संबंधी बीमारियों को ठीक करने में ये मिलेट अत्यधिक प्रभावी हैं। औषधीय गुणों से भरपूर मिलेट्स स्वस्थ मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है हमने जाना
गलत आहार शैली जहर के समान और सही आहार शैली अमृत के समान है इसलिए आप के आहार में आप क्या लेते हैं और क्या बदलना चाहिए इस बार एक बार पुनः विचार करें l
मिलेट्स कम पानी और कम लागत में बिषम भौगोलिक परिस्थितियों में उगाई जा सकती है, जो हमारे अन्नदाता के लिए वरदान है l
अन्य फसलों के मुकाबले इन में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है l
कई राज्यों में मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है अब सब तरह के मोटे अनाज आसानी से उपलब्ध है इस तरह पोषण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति होगी और साथ में उस क्षेत्र के किसान भी आत्मनिर्भर बनेंगे जंहा पर्याप्त सिंचाई की सुविधा नहीं है
डॉ. खादर वली’ का कथन है
‘’मैं लोगों को उनके द्वारा खाए जा रहे भोजन के प्रति इतना जागरूक कर देना चाहता हूं कि आने वाली पीढ़ी कहे कि मेरे दादा जी को कभी कैंसर हुआ करता था या मेरी दादी जी को कभी डायबिटीज अथवा कोई अन्य धातक बीमारी थी।‘’
डॉ प्रेरणा मित्रा
सहायक प्राध्यापक
(वनस्पति विभाग) पीजी कॉलेज मंदसौर
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