पर्यावरण संरक्षण की ओर एक कदम:-

पर्यावरण संरक्षण की ओर एक कदम:-
22 मार्च- *विश्व जल दिवस* विशेष:- *नदियों के किनारे पौधारोपण करके नदियों को पुनर्जीवित एवं प्रदूषण रहित करना* चार्ल्स डार्विन के विकासवादी सिद्धांत में जल ही सृष्टि का उद्गम है l हजारों वर्ष पूर्व ऋग्वेद में जल को संपूर्ण विश्व को जन्म देने वाली मां कहा गया है l नदियों को जीवनदायिनी कहा गया है क्योंकि सारी सभ्यताएं नदियों ने अपनी गोद में ही विकसित की हैं l मनुष्य जन्म से मृत्यु तक पानी का उपयोग करता है l जब से पृथ्वी की उत्पत्ति हुई है l तब से पानी किसी न किसी रूप में निरंतर खर्च हो रहा है l इसके अतिरिक्त बढ़ती हुई जनसंख्या, सभ्यता के विकास के साथ-साथ सुख सुविधाओं में वृद्धि, औद्योगीकरण तथा कृषि कार्य में पानी के उपयोग ने इस खर्च को इतना बढ़ा दिया है कि शुद्ध मीठे पानी की मात्रा कम होती जा रही है l यह एक विकट समस्या बन गई है l आज हम विकसित कहलाते हैं l लेकिन हमारी नदियों का पानी प्रदूषित होता जा रहा है l हमारी नदिया भी अपनी प्रकृति के विपरीत बूढ़ी होने लगी है l बे सूखती जा रही हैं और उनका समीपवर्ती जीवन भी सूखता जा रहा है lअनियोजित शहरीकरण के कारण नदी के किनारों पर अशोधित जल की मात्रा काफी बढ़ गई है। शहरों से सीवेज और औद्योगिक प्रदूषित पानी नदी में पहुंच जाता है l संप्रति देश की तमाम नदियां औद्योगिक प्रदूषण के कारण कचरा ग्रस्त हो चुकी हैं एक आकलन के अनुसार लगभग अधिकांश नदियों का जल विषाक्त है चुका है l और बहुत सारी नदियां सूखने के कगार पर है l नदियों को पुनर्जीवित करने की योजना पर युद्ध स्तरीय प्रयासों की आवश्यकता है l क्योकी प्रदुषण और जलवायु परिवर्तन के कारण अनियमित हो गई है । नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए नदियों के किनारे पौधारोपण करने से अवश्य ही बेहतर परिणाम मिलेंगे इसके लिए नदियों के दोनों किनारों पर सघन पौधारोपण की व्यवस्था की जाये अलग-अलग किस्म के स्थानीय पौधे रोपे जाने की योजना बनाई जाये है। इसके पीछे का तर्क है कि सघन पैधारोपण होगा तो वह बारिश का बड़ा कारक बनेगा जिससे नदी का प्रवाह भी बना रहेगा। पौधारोपण में ब्लॉक प्लांटेशन के तहत अलग-अलग उपवन तैयार करने की योजना बनाई जाये इसमें फलदार, फूलदार के साथ ही औषधीय पौधों की वाटिका लगायी जाएगी। नदियों के किनारे अगर बड़ी मात्रा में स्थानीय पौधे रोपित किए जाएं तो यह पौधे नदी को पुनर्जीवित करेंगी इसके अलावा उस में होने वाले प्रदूषण को भी कम करेंगे इस तरह हम जीवन दायिनी नदियों के जीवन को बचा सकते हैं l इसके अलावा जन-जागरूकता, पौधारोपण, रसायन-मुक्त कृषि, और कचरा-प्रबंधन कि भी आवश्यक है l समाज के ये सभी लोग जुड़कर नदियों के संरक्षण के काम को सरल बना सकते हैं। भविष्य में प्रकृति प्रदत्त नदियो का पुनर्जीवीकरण संस्कृति, प्रकृति, प्यार एवं सम्मान के साथ करना होगा। हमें संकल्प भी लेना होगा कि नदियों का पुनर्जीवीकरण सभी लोग मिलकर करेंगे। नदियों के पुनर्जीवीकरण में आमजन की भागीदारी समाज एंव सरकार की भागीदारी महत्त्वपूर्ण हैं। धन्यवाद डॉ. प्रेरणा मित्रा सहायक प्राध्यापक (वनस्पति)

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