इस भूचाल के बाद....?

इस भूचाल के बाद....?
राजनीति तो अब शुरू हुई है, प्रदेश में सबसे अधिक दिखेगा इस बदलाव का असर! तो आखिरकार दिग्विजयसिंह के चक्रव्यूह ने अपना खेल पूरा कर ही लिया। सोशल मीडिया से लेकर कांग्रेस के नेताओं तक यह स्वर हैं, कि इस बखेड़े के जिम्मेदार राजा हैं, मगर मजाल है कि कांग्रेस नेतृत्व को यह दिख जाए। खैर, यह अलहदा विषय है, भूचाल आ चुका है। दिग्विजयसिंह के चक्रव्यूह में नाथ अभिमन्यु बन चुके हैं, यह बात मैने 28 दिसम्बर को भी लिखी थी, आज जब अभिमन्यु वध नजदीक है, तब मध्यप्रदेश की इस महाभारत के भविष्य पर बात करना अधिक लाजिम है। लगातार घेरे में लिए जा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आखिरकार एक बड़ा निर्णय लेते हुए आज भाजपा का दामन थाम लिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब यह भूचाल ठंडा हो जाएगा तब बदले हुए समीकरणों में प्रदेश का भविष्य क्या होगा, इसे अलग-अलग दृष्टिकोण से समझने की आवश्यकता होगी। महाराज का भविष्य- महाराज कहे जाने वाले श्री सिंधिया कोई छोटा नाम नहीं है, प्रदेश की राजनीति में दरकिनार होने के बावजूद वे पार्टी राष्ट्रीय महासचिव थे, दस साल केन्द्रीय मंत्री वे रहे। जनता की पसंद तो वे हैं ही, ऐसे में वे भाजपा में अपने साथ एक बड़ी भीड़ लेकर आएंगे। इस भीड़ का होगा जो होगा, मगर महाराज का क्या होगा, आज तो वे राज्यसभा भेजे जा रहे हैं। मगर तब क्या होगा, जब वे प्रदेश में काम करने की ईच्छा जताकर यहां नेतृत्व करना चाहेंगे, तब यहां स्थापित नेता क्या करेंगे। शिवराज को लेकर पार्टी में अंदरूनी विरोध भले ही हो, मगर यह इतना बड़ा भी नहीं है कि बाकी नेता यहां महाराज का नेतृत्व स्वीकार लें। ऐसे में उनकी प्रदेश में ताकतवर भूमिका की संभावना फिलहाल तो कम ही दिखती है। यदि ऐसा होता है तो उनके साथ आए नेताओं को यहां स्थानीय स्तर पर कितनी तवज्जो मिलेगी या कितने लोग भाजपा में स्थापित हो पाएंगे, यह सवाल भी अहम होगा। भविष्य में बनने वाला सिंधिया गुट कितना प्रभावशाली होगा या रह पाएगा या वे अपनी टीम को कितने महत्वपूर्ण पद दिला पाएंगे, इस पर उनका और उनके साथ आने वालों का भविष्य टिका रहेगा! कांग्रेस का भविष्य- हालांकि, यह एक ऐसी बात है जिस पर खुद कांग्रेस ही चिंता करती नहीं दिख रही, ऐसे में हमारा बात करना भी कोई खास महत्व नहीं रखता। लेकिन, फिलहाल तो यही स्थिति है कि अपने ही चराग से अपने ही घर को आग लगा ली गई है। बड़े नेताओं का अहम 15 साल के वनवास को शायद और इतने ही सालों के वनवास में बदलता दिख रहा है। केन्द्रीय नेतृत्व की ढिलाई ने और गुटबाजी ने कार्यकर्ताओं को त्रास के रख दिया है। ऐसे में निराश, हताश कार्यकर्ता जनता के बीच कैसे पहुंच पाएंगे और जनता भी कांग्रेस पर भरोसा कैसे कर पाएगी। एक दिन पहले तक महाराज-महाराज कर मुंह सुखा देने वाले कांग्रेसी आज गद्दार कहने पर उतर आए। श्री सिंधिया की अधिकृत भाजपा सदस्यता से पहले ही कई बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया जो बातें लिखी वह ऐसी थी मानों वे मामले को सुलझाना नहीं बल्कि बिगाड़ना ही चाह रहे हों। ऐसे में कांग्रेस का भविष्य तो ठीक वैसा ही दिख रहा है, जैसा वर्तमान है। प्रदेश का भविष्य- इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण विषय है प्रदेश का, जिसकी हम सभी को सबसे ज्यादा चिंता होना चाहिए, मगर रहती सबसे कम है। भारी कर्ज से डूबे प्रदेश को एक अस्थिर सरकार की वजह से नुकसान तो हुआ है। कमलनाथ की कोशिशों को दिग्विजयसिंह की राजनीति खा गई और थोड़ा सा स्वयं नाथ का अति आत्मविश्वास भी। ऐसे में प्रदेश में शिवराज की वापसी होती नजर आती है। ऐसे में सवाल यही है कि फिर से एक दो तीन होने पर प्रदेश के विकास का एजेंडा किस तरह बदलेगा। क्या भाजपा में भी जो सुर धीमें हैं वो तेज होंगे और कोई नए पावर सेंटर सामने आएंगे! ब्दलती राजनीति से प्रदेश किस ओर जाएगा, यह कहना आज की स्थिति में तो दूर की कौड़ी ही है! भाजपा की राजनीति का भविष्य- आज तो श्री सिंधिया की आमद से पार्टी उत्साहित नजर आती है। मगर कल जब सिंधिया समर्थक भी गले में भगवा दुपट्टा डाले, टिकिट मांगेंगे, सिंधिया अपने समर्थकों के लिए पद मांगेंगे, तब वैसे ही भीड़ से लबालब पार्टी क्या करेगी। आज का उत्साह जब ठंडा होगा और एक नए गुट की सिर फुटव्वल बढ़ेगी, तब क्या स्थितियां होंगी। सिंधिया के साथ आने वाले 22 विधायक तो आज की जरूरत के हिसाब से चुनाव लड़ लेंगे, मगर जो चुनाव लड़कर हारे, या चुनाव नहीं लड़ पाए या और वे भी जो कल चुनाव लड़ने की उम्मीद में थे, इन सब का क्या होगा, यह देखना भी महत्वपूर्ण होगा और जब ये नए चेहरे आगे बढ़ेंगे तो पुराने चेहरों का क्या होगा, इस पर भी नजर रहेगी। कुल मिलाकर भूचाल आकर जाने वाला नहीं है, यह नए भूचाल की शुरूआत भी हो सकती है। बस यह तय है कि राजनीति में और राजनीति होगी और हो सकता है राजनीति जारी रहे।

जहरीली शराब पर किसका जोर कभी जखीरा तो कभी अवैध शराब जप्त

जहरीली शराब पर किसका जोर कभी जखीरा तो कभी अवैध शराब जप्त

मध्यप्रदेश में अवैध शराब का कारोबार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है कहीं पर अवैध शराब का जखीरा तो...

बढ़ते कोरोना और राजनैतिक टेम्प्रेचर के बीच पिसते...

बढ़ते कोरोना और राजनैतिक टेम्प्रेचर   के बीच पिसते कोरोना योद्धा

कांग्रेस नेताओं के कहने पर कप्तान ने किया ड्यूटीरत कोरोना योद्धा को लॉकडाउन देश की सरकार और...

शस्त्र शास्त्र के पारंगत और कर्मवीर भगवान परशुराम

शस्त्र शास्त्र के पारंगत और कर्मवीर भगवान परशुराम

अक्षयतृतीया भगवान परशुराम जयन्ती} परशुराम जी ने कभी क्षत्रियों को संहार नहीं किया. उन्होंने...

हम धृतराष्ट्रों से घिरे हैं, जिन्हें बस स्तुति गान पसंद...

हम धृतराष्ट्रों से घिरे हैं, जिन्हें बस स्तुति गान पसंद हैं...!

तो मंदसौर जिले में कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या एकदम से बढ़ गई! मध्यप्रदेश में भी यह महामारी...

व्यापारी और ग्राहक

व्यापारी और ग्राहक

कोरोना जैसी महामारी में जब ऑनलाइन कंपनियां ग्राहकों की मदद करने में कभी आगे नही आती तो हम बड़े...