त्रिस्तरीय पंचायत राज चुनाव में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण समाप्त करना संविधान की मर्यादाताओं का उल्लंघन-जोकचन्द्र

त्रिस्तरीय पंचायत राज चुनाव में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण समाप्त करना संविधान की मर्यादाताओं का उल्लंघन-जोकचन्द्र
मध्यप्रदेश में पंचायती राज का मखौल उड़ाने व संविधान की आत्म को चीरकर लहू-लूहान करने में भाजपा सरकार कोई कसर नही छोड़ रही है। प्रदेश में पंचायती राज चुनाव पिछले सात सालों तक नही कराए तथा ग्रामीण क्षेत्र के लाखों जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व को कुचल दिया। साथ ही आरक्षण की गलत व्याख्या कर मनमाने तरीके से चुनाव कराने के लिए सरकार हठधर्मिता कर रही है। उक्त आरोप प्रदेश कांग्रेस महामंत्री श्यामलाल जोकचन्द्र ने लगाते हुए बताया प्रदेश की भाजपा सरकार संवैधानिक मर्यादाओं को कूचलकर मनमाने तरीके से 2014 के आरक्षण से चुनाव कराने के लिए असंवैधानिक कृत्य कर रही थी, चुनाव आयोग ने भी भाजपा के दबाव में आचार संहिता लगाकर चुनाव की तारिखों का एलान कर नामांकन प्रक्रिया शुरु कर दी। संवैधानिक मर्यादाताओं को बरकरार रखने के लिए कई लोगों ने न्यायालय की शरण ली। लेकिन हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पाले तो सुप्रीम कोर्ट ने फिर हाईकोर्ट के पाले में गेंद डाल दी। याचिकाकर्ताओं ने रोटेशन प्रणाली से चुनाव करने की अपील कर कहा था कि आरक्षण में रोटेशन का पालन नही किया गया, यह धारा 243 सी व डी का सरासर उल्लंघन है और 2014 के आरक्षण से चुनाव नही कराने की अपील की थी। लेकिन शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण समाप्त करने का निर्णय ही सुनाया, वह असंवैधानिक है। जोकचन्द्र ने आरोप लगाया देश में पिछड़ा वर्ग 52 प्रतिशत है और इतने बड़े वर्ग का पंचायत चुनाव में आरक्षण खत्म कर इस वर्ग की चुनाव में भागीदारी नही होने देने की यह एक सोची समझी साजिश है। जब-जब भी देश के प्रत्येक वर्ग को प्रतिनिधित्व देने का मौका देने की बात आती है, तब-तब भाजपा व आरएसएस से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी का एक वर्ग लगातार आरक्षण पर हमला करने से नही चूकता। जोकचन्द्र ने आगे बताया कि देश लकीरों, सीमाओं, बिल्डिंगों, कारखानों, वाहनों से नही बनता। देश नागरिकों से बनता है और जब तक प्रत्येक नागरिक की भागीदारी जर्रे-जर्रे में सुनिश्चित नही हो जाती, तब-तक देश अधूरा है। जोकचन्द्र ने आगे बताया आरक्षण राष्ट्र की बुनियादी आवश्यकता है और इससे छेड़छाड़ करना, देशहित में कतई ठीक नही है। अगर इसे छेड़ा गया तो देश का सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो जाएगा। जोकचन्द्र ने आगे बताया कि न्यायपालिका को भी संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल कर आरक्षण की व्यवस्था लागू होना चाहिए, तभी देश में आम लोगों को न्याय मिलने की उम्मीद है।

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