भाजपा से क्या रघुनंदन लडेंगे चुनाव...बंशीलाल जी को मिलेगा मौका...या फिर सुधीर ?

भाजपा से क्या रघुनंदन लडेंगे चुनाव...बंशीलाल जी को मिलेगा मौका...या फिर सुधीर ?
ख़बरवाला की विशेष रिपोर्ट लोकसभा चुनाव की तिथियों का एलान हो गया है । मंदसौर लोकसभा में 19 मई 2019 को मतदान होगा । अच्छी बात यह है कि मंदसौर को परिणाम के लिए सबसे कम इंतजार करना पड़ेगा । लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में नरेंद्र मोदी वर्सेस आल की स्थिति है । भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित गिनीचुनी सीटों में शुमार मन्दसौर लोकसभा पर भी उम्मीदवारों को लेकर घमासान शुरू हो गया है । दावेदारों में वर्तमान सांसद गुप्ता के अतिरिक्त वरिष्ठ नेता रघुनन्दन शर्मा, बंशीलाल गुर्जर, कैलाश चावला भी शुमार है । उच्च स्तर पर सुरक्षित सीट पर बड़े नाम नरेंद्र सिंह तोमर,कैलाश विजयवर्गीय को भी लडाने पर विचारक जा सकता है । बात वर्तमान सांसद की करें तो वे ऊंट पर बैठ कर आये जनता ने सिर आंखों पर बैठाया पर जनता के बीच जाने जमीन पर आने की बजाय वे पांच साल में हाथी पर चढ़ गए । उनकी नजर में स्थानीय समस्या,रोजगार सृजन जैसा कुछ रहा ही नही । पर लगाकर हवाई यात्राओ का लुफ्त उठाने में पांच साल गुजर गए । सांसद से सीतामऊ के लदुना सरपंच का प्रश्न लाजमी था पर आवाज अनुशासन के डंडे से दबा दी गयी । सरपंचो का साफ कहना है सांसद यात्री प्रतीक्षालय, सोलर लाइट और टेकर से बाहर ही नही आ पाए । बात यहाँ भी नही रुकती सोलर प्लांट का भी जमकर लुफ्त लेते रहे चाहते तो कई कार्यकर्ता रोजगार से लग जाते यह टिस कार्यकर्ताओं में है । जनता और कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर नेपाल,चाइना और जापान प्रेम दिखाते रहे । जनता से दूरी बनाकर भी फेम् बने सांसद को दूसरा अवसर देना भाजपा के लिए सुवासरा के प्रत्याशी को रिपीट करने जैसा रिस्क होगा । बताया जाता है कि संघ के नाम का भरपुर सदुपयोग कर चुके सांसद के संघ भी समर्थन में नही है । ऐसे में प्रत्याशी बदलाव तय माना जा रहा है । बात करें अगर बंशीलाल गुर्जर की तो उन्होंने कृषि उपज मंडी के कार्यों से किसान नेता की छवि बनाई और प्रसिद्धि पाई यही कारण है कि किसान मोर्चा के मुखिया बनाया तो बखूबी जिम्मेदारी निर्वहन की लेकिन महामंत्री के रूप में वे अपनी छाप छोड़ने में असफल रहे । विधानसभा लोकसभा में सदैव नाम चला लेकिन स्थानीय नेतृत्व की सहमति के अभाव में टिकिट नही मिल पाया । अभी भी टिकिट की दौड़ में गुर्जर सबसे आगे है लेकिन स्थानीय नेतृत्व की असहमति और एकला चलो की नीति उन्हें फिर फिसड्डी बना सकती है । जातिवाद के आरोप भी उनके राह का रोड़ा बन सकता है ,इसलिए उन्हें कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेतृत्व का विश्वास अर्जन ही उन्हें टिकिट दिला पायेगा । मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता और अपनी खरी बातों से अपने दौर के दूसरी पंक्ति के शिवराज सहित नेतृत्व के आंखों की किरकिरी बने रघुनंदन शर्मा ने भी चाहे अनकहे ही सही चुनावी समर में ताल ठोक कर कह दिया कि माँगने नही जाऊंगा लेकिन देगी तो लड़ूंगा का मतलब साफ़ है कि उनकी इच्छा फिर हिलोरे मार रही है । पिछली बार की टीस भी उभर आई उन्होंने साफ किया कि पिछली बार राष्ट्रीय अध्यक्ष और तत्कालीन मुख्यमंत्री सहित सभी ने तैयारी करने को कहा था लेकिन अंधेरे में रखकर टिकिट दूसरे को दे दिया । उन्होंने शिवराज से लगाकर पूरे नेतृत्व को आगाह किया कि विधानसभा वाली गलती की तो परिणाम भी ठीक नहीं आएंगे । खैर रघुनन्दन शर्मा को लोकसभा अध्यक्ष ताई और प्रधानमंत्री की निकटता और लोकसभा में ब्राह्मण मतदाता बहुलता का लाभ मिल सकता है । साथ ही उनके वरिष्ठ होने के कारण स्थानीय विधायको में डॉ पांडेय के बाद स्वाभाविक स्वीकारोक्ति भी है । स्थानीय भानपुरा के निवासी होने के कारण एवं बदली राजनीतिक परिस्थितियों में उनको शीर्ष नेतृत्व फिर से मैदान में उतार सकता है । मनासा विधायक रहे कैलाश चावला भी दौड़ में है उनका टिकिट काटकर माधवमारू को दे दिया था । इसके कारण वे नाराज है । उनकी वरिष्ठता और संसदीय क्षेत्र में पकड़ भी किसी से छिपी नही है अतः उनकी दावेदारी को भी पार्टी गंभीरता से ले रही है । दिल्ली की रग रग से वाकिफ और मालवा के गांधी डॉ पाण्डे के पुत्र सुरेंद्र पांडेय भी अपनी आमद दर्ज करवा रहे है । उनकी दावेदारी को पार्टी किस रूप में लेती है यह कहना और अन्दाजा लगाना मुश्किल है।शीर्ष नेतृत्व के प्रिय नरेंद्र सिंह तोमर जो विधानसभा चुनाव में चम्बल क्षेत्र में पार्टी को मिली हार के बाद ग्वालियर छोड़ने का मन बना चुके है । अपने लिए नया आशियाना तलाश रहे है । मन्दसौर लोकसभा में उनके लिए चेतन्य काश्यप लॉबिंग कर सकते है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और अमित शाह के विश्वसनीय कैलाश विजयवर्गीय के लगातार मंदसौर क्षेत्र के दौरे पर आना भी नए संकेत माना जा रहा है । इंदौर से ताई का टिकिट काटना असंभव है अतः विजयवर्गीय को मंदसौर से लड़ाया जा सकता है । #ख़बरवाला के सूत्रों के अनुसार मंदसौर संसदीय क्षैत्र को भाजपा अपने लिए ए ग्रेड की लोकसभा मान रही है । लेकिन सही फैसले के अभाव में यह सीट भाजपा के हाथ से निकल सकती है । अतः संघ की राय टिकिट वितरण में अति महत्वपूर्ण होगी ।

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